पुस्तक समीक्षा: सॉफ्ट कॉर्नर ✍ डॉ. सीमा शर्मा 'सॉफ्ट कॉर्नर ' राम नगीना मौर्य का तीसरा कहानी संग्रह है , जिसमें उन्होंने दैनिक जीवन की साधारण घटनाओं को कहानियों की कथावस्तु बनाया है और उन सूक्ष्म अनुभवों को बड़ी प्रमाणिकता के साथ अंकित किया है ,जिन पर सामान्य जन ध्यान भी नहीं देते। लेकिन कथा पाठ करते समय पाठक लेखक की अनुभूतियों के साथ जुड़ता चला जाता है।लेखक ने कहीं संवाद शैली तो कहीं वर्णात्मक शैली को अपनाया है।कहानियों के सभी पात्र भी सामान्य पृष्ठभूमि से लिए गए हैं। उनके चरित्र इतने सजीव हैं कि उन्हें हम अपने आसपास के समाज में आसानी से देख सकते है ।इनमें कोई नायक या अनायक नहीं सब मेरे और आपके जैसे सामान्य मानव हैं। लेखक की अपनी दुनिया है लेकिन उससे जुड़े उसके परिजनों की अपनी व्यवस्था तथा दोनों ही ओर से एक दूसरे की सीमाओं में अतिक्रमण ,जाने अनजाने होता ही है। यहीं से जन्म लेती है संग्रह क...
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Showing posts from March 22, 2020
बजरंगबली कहाँर की दो कविताएँ
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बजरंगबली कहाँर की दो रेखांकन:सम्पादक कविताएँ 1. बुझती हुई मशाल आप ऐसे मिलें जैसे- किसी क्राँतिकारी को मिल जाय घनघोर अँधेरे में, जलती हुई मशाल । मशाल मिलते ही तीव्र हो जाती है, उसके कदमों की चाल। वह सारे कठिनाइयों ,बाधाओं को कर रहा था पार, उसके कदमो की चाल कितनी मधुर थी, कि आ गई मझधार , चल गई आँधी जैसे अर्धवस्त्र हो गया हो गाँधी भगतसिंह को लटका दिया गया फाँसी के तख़्त पर ऐसे ही कष्ट बीतने लगे उसके हृदय सख्त पर कुछ मन्द पड़ गई उसकी चाल, बुझ रही थी मशाल ,बुझ रही थी मशाल । पर क्रान्तिकारी रुक कैसे सकता था, वह बढ़ रहा है आगे कैसे अपने उद्देश्य से पीछे भागे ? लग गई ठोकर फिर वही अंधकार विकराल बुझ गई थी मशाल,बुझ गई थी मशाल । 2.सहृदयधारिणी सहृदयधारिणी, यही सम्बोधन है मेरे पास आपके लिए क्योंकि आप इसी रूप में मेरे जीवन में प्रवेश कियें थें । आपने मुझे मित्र रूप में स्वीकार किया था , परंतु मैं सदा मित्रता की परिधि से बाहर ही रहा जिसका ज्...