बजरंगबली कहाँर की दो कविताएँ


बजरंगबली कहाँर की दो
रेखांकन:सम्पादक 
कविताएँ

1. बुझती हुई मशाल 

आप ऐसे मिलें
जैसे-
किसी क्राँतिकारी को 
मिल जाय घनघोर अँधेरे में,
जलती हुई मशाल ।

मशाल मिलते ही 
तीव्र हो जाती है,
उसके कदमों की चाल।

वह सारे कठिनाइयों ,बाधाओं को 
कर रहा था पार,
उसके कदमो की चाल कितनी मधुर थी,
कि आ गई मझधार ,
चल गई आँधी 
जैसे अर्धवस्त्र हो गया हो गाँधी
भगतसिंह को लटका दिया गया फाँसी के तख़्त पर 
ऐसे ही कष्ट बीतने लगे उसके हृदय सख्त पर 
कुछ मन्द पड़ गई उसकी चाल,
बुझ रही थी मशाल ,बुझ रही थी मशाल ।

पर क्रान्तिकारी रुक कैसे सकता था,
वह बढ़ रहा है आगे
कैसे अपने उद्देश्य से पीछे भागे ?
लग गई ठोकर
फिर वही अंधकार विकराल 
बुझ गई थी मशाल,बुझ गई थी मशाल ।























2.सहृदयधारिणी

सहृदयधारिणी,
यही सम्बोधन है मेरे पास आपके लिए
क्योंकि आप इसी रूप में मेरे जीवन में प्रवेश कियें थें ।
आपने मुझे मित्र रूप में स्वीकार किया था ,
परंतु मैं सदा मित्रता की परिधि से बाहर ही रहा
जिसका ज्ञान आपको लम्बे अरसे के बाद हुआ।

मैं यह कविता लिख रहा हूँ 
आपके अनुमति के विरुद्ध जाकर 
क्योंकि अब मुझे रोकने वाला कोई भी नहीं है ।
मैं अपनी भावनाओं को आपके समक्ष व्यक्त करता था
पर उसे सुनने वाला अब कोई नहीं है ।

"अभिव्यक्ति जरुरी है "
यह आप ही कहा करते थे
इसलिए मैं अपनी भावनाओं को
पन्ने में बिखेरने जा रहा हूँ 
इसकी भी अनुमति आपने नहीं दी थी
लेकिन रोकने के लिए अब आप नहीं हैं ।
               ●●●
                      
कवि: बजरंग बली कहाँर
 पता: छात्र-काशी हिन्दू विश्वविद्यालय 
         परास्नातक,हिन्दी 
         लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास 
          कमरा संख्या-152
          काशी हिन्दू विश्वविद्यालय.
            

             


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